Sunday 8 July 2012

नेचुरल डेलीवरी से स्वस्थ बच्चे

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जापानी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए शोध के अनुसार स्वाभाविक रूप से पैदा हुए बच्चे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। इस शोध के अनुसार नेचुरल डेलीवरी से हुए बच्चों में लेक्टोबैसिलस समेत कई लाभकारी बैक्टीरिया ज्यादा पाए जाते हैं, जिसके कारण नवजात में अस्थमा व एलर्जी जैसी कई बीमारिया होने की आशका कम रहती है। इस नए शोध के अनुसार जब बच्चा स्वाभाविक रूप से जन्म लेता है, तो मा का 96 प्रतिशत वेजिनल फ्लूड नवजात में ट्रासफर हो जाता है। जिसकी वजह से लाभकारी बैक्टीरिया का नेचुरल ट्रासफर हो जाता है। यह बैक्टीरिया नवजात की आतों में अपना बसेरा बना लेते हैं। वहीं आपरेशन से हुए बच्चों में न केवल लाभकारी बैक्टीरिया कम होते हैं, बल्कि त्वचा और हॉस्पिटल में प्राय: पाये जाने वाले एसिनेटोबैक्टर समेत कई हानिकारक बैक्टीरिया भी प्रवेश कर जाते हैं।

प्याज का राज, नुस्खे लाजवाब

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कान बहता हो, उसमें दर्द या सूजन हो तो प्याज तथा अलसी के रस को पकाकर दो-दो बूंदें कई बार कान में डालने से आराम मिलता है। यदि कोई अंग आग से जल गया हो तो तुरंत प्याज कूटकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए। विषैले कीड़े, बर्र, कनखजूरा और बिच्छू काटने पर प्याज को कुचलकर उसका लेप लगाना चाहिए। बिल्ली या कुत्ते के काटने पर रोगी को डॉक्टर के पास जाने तक प्याज और पुदीने के रस को तांबे के बर्तन पर डालकर प्रभावित स्थान पर लगाइए इससे विष उतर जाएगा। हिस्टीरिया या मानसिक आघात से यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो उसे होश में लाने के लिए प्याज कूटकर सुंघाएं इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है। मूत्राशय की पथरी को दूर करने के लिए रोगी को प्याज के रस में शकर डालकर शर्बत बनाकर पिलाएं। ऐसा शर्बत नियमित रूप से पिलाने से पथरी कट-कटकर निकल जाती है। इस दौरान रोगी को टमाटर, साबुत मूंग तथा चावल न खाने दें। रोगी को भोजन के साथ एक खीरा खाने को दें। साथ ही रोगी को खूब पानी पीने के लिए कहें। किसी नशे में धुत व्यक्ति को यदि एक कप प्याज का रस पिला दिया जाए तो नशे का प्रभाव काफी कम हो जाता है।

कैसे बचें आंखों के दर्द से

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- तिल के 5 ताजे फूल प्रात:काल अप्रैल माह में निगलें। इससे पूरे वर्ष आंखें नहीं दुखेंगी।

- चैत्र के महीने में गोरखमुंडी के 5 या 7 ताजे फूल चबाकर पानी के साथ सेवन करने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।

- बचपन में बेलगिरी के बीज की मिंगी शहद में मिलाकर चटाने से जीवनभर आंखें नहीं दुखती।

- नींबू के रस की एक बूंद महीने में एक बार आंखों में डालने से कभी आंखें नहीं दुखती।

- रुई के फाहे को ठंडे पानी में भिगोकर शुद्ध घी लगाकर आखों पर रखने से आंखों के दर्द में लाभ मिलता है।

- हरी दूब पीसकर उसका रस आंखों के ऊपर लेप करने से आंख का दर्द मिटता है।

हेल्थ टिप्स : उफ, यह पसीना

एक बार पहने हुए वस्त्रों को बिना धोए अलमारी में न रखें। बिना धुले वस्त्रों को अलमारी में रखने पर दुर्गन्ध पैदा करने वाले बैक्टीरिया सक्रिय होकर वस्त्रों में दुर्गन्ध पैदा कर देते हैं। शरीर की साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नीम युक्त साबुन का नहाते वक्त इस्तेमाल करें तो बेहतर रहेगा। जहाँ तक हो सके कड़ी धूप से बचें। वस्त्र ऐसे पहनें जो शरीर से चिपके हुए न हों क्योंकि तंग वस्त्रों में ज्यादा पसीना आता है और वाष्पीकरण सही ढंग से नहीं हो पाता है जिससे कपड़ों से दुर्गन्ध आने लगती है। सिन्थेटिक वस्त्र न पहनकर सूती वस्त्र पहने तो ज्यादा ठीक रहेगा। तली-भुनी व मसालायुक्त चीजें न खाएँ। मौसमी फलों का सेवन करें।  जड़ी-बूटी द्वारा उपचार - बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। इस चूर्ण की सारे शरीर पर मालिश करें और कुछ समय रूक-रूक कर स्नान कर लें। नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिनों तक करते रहने से पसीना आना बंद हो जाएगा। - पसीने की दुर्गन्ध दूर करने के लिए बेलपत्र के रस का लेप शरीर पर करना चाहिए। - अडूसा के पत्रों के रस में थोड़ा शंख चूर्ण मिलाकर शरीर पर लगाने से शरीर से पसीने की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।

तपती गर्मी में भी खिली रहे सेहत

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ग्रीष्म ऋतु चल रही है। इस ऋतु में सूरज की तेज किरणों से मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी जीव-जंतु, वनस्पतियां, नदी, तालाब, कुएं आदि प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। खासकर अप्रैल, मई एवं जून की गर्मी व्यक्ति को अधिक व्यथित करती है जिससे बचने के उपाय हमें करना अतिआवश्यक है। आइए आप और हम निम्न उपायों को अपना कर काफी हद तक गर्मी की दस्तक से बच सकते हैं। * इस मौसम में तेज लपट और झुलसा देने वाली गर्म हवा चलती है। इससे बचने के लिए जब भी हम घर से बाहर निकलें तो एक गिलास ठंडा पानी पीकर ही निकलें। चलते समय एक प्याज भी जेब में रख लें तो लू लगने से बचा जा सकता है। * दिन भर में कम से कम 10 से 15 गिलास पानी अवश्य पिएं। पानी पीने में कोताही नहीं बरतें, क्योंकि इस मौसम में हमारे शरीर का पानी पसीने के जरिए बह जाता है। शरीर में पानी की कमी न होने पाए इसलिए पानी का अत्यधिक उपयोग जरूरी ह * इस ऋतु में हमारी पाचन शक्ति अक्सर कमजोर हो जाती है। पाचन शक्ति ठीक से कार्य करे, इसके लिए तेज मिर्च-मसालेदार, तले हुए एवं गरिष्ठ भोजन से जहां तक हो सके परहेज करें। भूख से दो रोटी कम सेवन करें एवं पानी का उपयोग ज्यादा करें। * तेज धूप से बचाव करके ही घर से निकलें। विशेष कर सिर एवं त्वचा को किसी भी तरह से बचाएं। इसके लिए टोपी, स्कॉर्फ या ग्लव्स या गमछे का प्रयोग करें। * सूर्य की तेज धूप से आंखों को बचाने के लिए गहरे रंग के या सनग्लास चश्मों का प्रयोग हितकर होगा। अच्छी किस्म का सन्सक्रीन लोशन भी अवश्य प्रयोग में लाएं। * प्रातः जल्दी उठकर ताजी वायु का सेवन अवश्य करें। * गर्मी के मौसम में सूती वस्त्र ही पहनें, क्योंकि सूती वस्त्र पसीना सोखने में कारगर होते हैं। जहां तक हो सके, ठंडे पानी से ही स्नान करें। कहा भी गया है कि स्वास्थ्य ही जीवन है और स्वास्थ्य ही धन है। अगर आपने अपने खान-पान, रहन-सहन पर इस मौसम में ध्यान रखें तो गर्मी को रफूचक्कर कर सकते हैं।

सेहत के लिए लाभकारी शाकाहार

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भारतीय संस्कृति में हमेशा से शाकाहार की महिमा पर जोर दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है। शरीर पर शाकाहार के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से किनारा करना शुरू कर दिया है। विश्व भर के शाकाहारियों को एक स्थान पर लाने और खुरपका-मुँहपका तथा मैड काओ जैसे रोगों से लोगों को बचाने के लिए उत्तरी अमेरिका के कुछ लोगों ने 70 के दशक में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी का गठन किया। सोसाइटी ने 1977 से अमेरिका में विश्व शाकाहार दिवस मनाने की शुरूआत की। सोसाइटी मुख्य तौर पर शाकाहारी जीवन के सकारात्मक पहलुओं को दुनिया के सामने लाती है। इसके लिए सोसाइटी ने शाकाहार से जुड़े कई अध्ययन भी कराए हैं। दिलचस्प बात यह है कि सोसाइटी के इस अभियान के शुरू होने के बाद से अकेले अमेरिका में लगभग 10 लाख से ज्यादा लोगों ने माँसाहार को पूरी तरह त्याग दिया है। विश्व शाकाहार दिवस के अवसर पर आहार विशेषज्ञ डॉ. अमिता सिंह ने बताया कि हाल के एक शोध के मुताबिक शाकाहारी भोजन में रेशे बहुतायत में पाए जाते हैं और इसमें विटामिन तथा लवणों की मात्रा भी अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। डॉ. अमिता ने बताया कि ऐसे भोजन में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे मोटापा कम होता है। माँसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन में संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है, जिससे यह हृदय रोगों की आशंका कम करता है। आहार विशेषज्ञ डॉ. अंजुम कौसर ने बताया कि अनाज, फली, फल और सब्जियों में रेशे और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा होते हैं, जो कैंसर को दूर रखने में सहायक होते हैं। डॉ. कौसर ने बताया कि उनके पास कई ऐसे मरीज आए, जिन्होंने माँसाहार त्यागने के बाद अपने स्वास्थ्य में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे। फिजीशियन डा. केदार नाथ शर्मा ने बताया कि बहुत से लोग गोश्त को अच्छे स्वाद के नाम पर तेज मसाला डाल कर देर तक पकाते हैं। इस प्रक्रिया से पका गोश्त खाने पर कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम को बहुत नुकसान पहुँचता है। यह भोजन रक्तचाप बढ़ाने के साथ रक्तवाहिनियों में जम जाता है, जो आगे चल कर दिल की बीमारियों को न्यौता देता है। विश्व शाकाहार दिवस पिछले दिनों अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने इस बात को प्रमाणित किया कि माँसाहार का असर व्यक्ति की मनोदशा पर भी पड़ता है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि लोगों की हिंसक प्रवृत्ति का सीधा संबंध माँसाहार के सेवन से है। अध्ययन के परिणामों ने इस बात की ओर संकेत दिया कि माँसाहार के नियमित सेवन के बाद युवाओं में धैर्य की कमी, छोटी-छोटी बातों पर हिंसक होने और दूसरों को नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। सोसाइटी की गतिविधियाँ शुरूआत में अमेरिकी उपमहाद्वीप तक सीमित रहीं, लेकिन बाद में इसने अपने कार्यक्षेत्र को यूरोपीय महाद्वीप समेत पूरे विश्व में फैलाया। एक अक्टूबर के दिन दुनिया भर में शाकाहार प्रेमी माँसाहार के नुकसान के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

कच्ची सब्जियाँ खाएँ, सेहत बनाएँ

भरपूर भोजन के साथ अगर आप अच्छी सेहत का सपना पाले हुए हैं, तो अपने भोजन में किसी कच्ची सब्जी या फल को जरूर शामिल करें। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे फल और सब्जियाँ भोजन को पचाने में सहायता करने के साथ शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कच्ची सब्जियों और फलों का कोई और विकल्प भी नहीं है। आहार विशेषज्ञ डॉ. अमिता सिंह ने बताया कि कच्चे फल और सब्जियाँ शेष भोजन के लिए रास्ता साफ करते हैं। कच्चे फल और सब्जियाँ रेशों से भरपूर होने के कारण शेष भोजन के लिए पाचन तंत्र में रास्ता साफ करते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप पिज्जा खाने जा रहे हैं, तो उसके पूर्व सलाद खाएँ। अगर आप आइसक्रीम खाने जा रहे हैं, तो उसके पूर्व एक सेब खाएँ। यह प्रक्रिया गरिष्ठ भोजन को पचाने में भी सहायक होती है।' उन्होंने कहा 'इनमें मौजूद रेशे पेट में जाकर फैलते हैं, जिससे कम खाने में ही पेट भरा हुआ महसूस होने लगता है। ऐसा होने से जरूरत से ज्यादा खाने से बचा जा सकता है। रेशे भोजन को पाचन तंत्र में आगे बढ़ने में भी सहायता करते हैं। डॉ. अंकुर जोशी ने बताया 'दिन में हर बार भोजन के साथ एक कच्चा फल या कच्ची सब्जी शरीर को तंदुरुस्त बनाने में सहायता करती है। कच्ची सब्जियों और फलों में उच्च मात्रा में पाचक एंजाइम मौजूद होते हैं, जो शेष खाने को पचाने में सहायक होते हैं।' 'कच्चे फलों में विटामिन और खनिज भी भरपूर मात्रा में होते हैं। बाजार में विटामिन के लिए कई दवाइयाँ और गोलियाँ मिलती हैं, लेकिन कच्चे फलों का कोई विकल्प नहीं है। गोलियों से शरीर को विटामिन की आपूर्ति होती है, लेकिन विटामिन के प्राकृतिक स्रोत गोलियों के दूरगामी प्रभाव की आशंका को खत्म करते हैं।' फिजीशियन डॉ. कल्पना जैन ने बताया कि महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ दूर करने के लिए अपने भोजन में कच्ची सब्जियों को शामिल करना चाहिए। कई शोधों ने साबित कर दिया है कि महिलाओं को साल भर अपने भोजन में कम से कम एक कच्ची सब्जी को अवश्य शामिल करना चाहिए। यह रजोनिवृत्ति के बाद की समस्याओं को दूर करने के साथ डायबिटीज की आशंका को कम करता है।' उन्होंने बताया 'कच्ची सब्जियों में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं, जिनसे रक्तचाप की समस्या भी दूर रहती है।'

मौसमी सब्जियाँ : पौष्टिक और गुणकारी

बाजार में चारों तरफ हरी पत्तेदार सब्जियाँ ताजी एवं सस्ते दामों में छाई हुई हैं, लेकिन यह जानते हुए भी कि हरी पत्तेदार सब्जियाँ स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है, बहुत कम सब्जियों का उपयोग किया जाता है व उनमें से बहुत हरी पत्तेदार सब्जियों को जानते हुए भी फेंक दिया जाता है। जैसे - चोलाई की डंडी, काँटेवाली चोलाई, चुकंदर, चने की दाल, छोड़, इमली व लीची के पत्ते, अरवी, कद्दू, गाजर, फूलगोभी, लौकी, गिलकी, टमाटर, आलू, सोयाबीन, आँवले, करेले व शलजम के पत्ते को भी खाने में उपयोग कर सकते हैं। यह बहुत कम लोगों को मालूम है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद ने अपनी पोषक तत्वों की किताब में बताया कि अधिक फल व सब्जियाँ जो हम खाते हैं, उनके पत्तों एवं जड़ों का उपयोग भी सब्जी बनाने में कर सकते हैं। ये पत्ते उन सब्जियों से ज्यादा पौष्टिक होते हैं जो बीमारी से बचाने या रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी मददगार रहते हैं। इसी प्रकार कमल के फूल के डंडे, गुलमोहर फूल व उसके पत्ते, पान के पत्ते, मटर के छिलके, खरबूज व तरबूज के ऊपर का छिलका पालक के डंठल, छोड़ के छिलके व पत्ते, सहजन के पत्ते को भी सब्जी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। हरा धनिया, पालक, पोदीना, मीठा नीम के डंठल को तो अधिकतर घरों में फेंक दिया जाता है। ये भी उतने ही पौष्टिक हैं जितने कि उनकी पत्तियाँ। हरी पत्तेदार सब्जियों में कैलोरी तो बहुत कम 100 ग्रा. में 25-30 कैलोरी (नमी) पानी 80-90 प्रश, वसा 0.3-0.6 ग्रा. ही रहती है, लेकिन विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपस्थित रहते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने व रोगों से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। Healthy diet जैसे : केल्शियम, (हड्डियों की मजबूती के लिए) आयरन व फोलिक एसिड (रक्त निर्माण के लिए), विटामिन ए, (आँखों की ज्योति के लिए), विटामिन सी (रोगों से बचाने के लिए) एवं थाइमिन, राइलोप्लेविन नाइसिन, मेग्नीशियम, सेलिनियम एवं जिंक मुख्य पोषण तत्व शरीर के अवशोषण में मदद करते हैं। हरी सब्जियों में उपलब्ध सूक्ष्म पोषक तत्व ज्यादा पकाने से या उबालने से नष्ट हो जाते हैं अतः इन सब्जियों का उपयोग ज्यादातर ज्यूस, सलाद के रूप में करें। ज्यादा पकाने के बाद भी दूसरी सब्जियों से हरे पत्तेदार सब्जियों में ज्यादा सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। उपरोक्त सभी पत्तेदार सब्जियों को बेसन, दाल, कटलेट, खमण, इडली, ढोकला, बाटी, बेसन के गट्टे, सांभर, खिचड़ी या सेंडविच के मसाले में मिलाकर उपयोग में किया जा सकता है इसके कारण वह ज्यादा स्वादिष्ट भी बनेगी। हरी पत्तेदार सब्जियाँ पौष्टिक तत्वों से इतनी भरपूर होती हैं कि इनकी बहुत अधिक मात्रा में आवश्यकता नहीं होती है। दिनभर में 1 कटोरी हरे पत्तेदार सब्जी वयस्क व्यक्ति के लिए पर्याप्त है। तो फिर अब देर किस बात की जो पत्तेदार सब्जियाँ हम फेंक रहे हैं, आज से ही उन्हें आहार में शामिल कर लिया जाए। कुछ ही दिनों में इसका असर आपके चेहरे, स्वास्थ्य पर अवश्य दिखेगा साथ ही बीमारी में कमी व त्वचा भी कांतिमय होने लगेगी।

ऐसे करें गर्मियों का मुकाबला


गर्मी के मौसम ने दस्तक दे दी है। धूप की तपिश अभी से असहनीय हो रही है। इस मौसम में थकान, नींद अधिक आना, सुस्ती, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, भूख न लगना, सिरदर्द, चक्कर आना, सीने में दर्द जैसी कई समस्याएं आ सकती हैं। कुछ सावधानिया बरत कर आप इनसे बच सकते हैं :
1. गर्मियों में शरीर को अधिक से अधिक पानी की जरूरत होती है, इसलिए तरी वाली चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए। इससे शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होगी। हफ्ते में कम से कम दो बार नारियल पानी अवश्य पीएं।
2. खरबूजा अधिक से अधिक खाएं, इससे लू का असर कम होता है। वहीं खीरा खाने से शरीर में कुदरती तौर से पानी और फाइबर सरीखे तत्वों में इजाफा होता है।
3. बासी खाने से परहेज करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
4. इस मौसम में फलों के रस सबसे ज्यादा राहत पहुंचाते हैं। वैसे साबुत फल खाना अधिक फायदेमद होता है। नींबू, सतरा और मौसमी का प्रयोग भी शरीर को ठंडक पहुंचाता है।
5. मसालेदार भोजन न खाएं और खाने में नमक भी कम मात्रा में लें।
6. पानी की अधिकता वाली सब्जिया जैसे तरोई, लौकी और टमाटर अधिक खाएं।
7. सुबह के 10 बजे से दोपहर के तीन बजे तक जहा तक सभव हो घर से न निकलें। यदि निकलना जरूरी हो तो शरीर के खुले स्थानों पर सनस्क्रीन लगाकर निकलें। सूरज की नुकसानदेह पराबैंगनी किरणों से बचने के लिए छाते का प्रयोग अवश्य करें।
8. हल्के रंग के कपड़े पहनें, जिससे शरीर का तापमान सही रहता है।  

फिश स्पा एवं पेडिक्योर से फैल रही हैं बीमारियां

spa,pedicure
सुंदर और स्मार्ट दिखने की बढ़ती होड के कारण महिलाओं में विशेष मछलियों के जरिए स्पा एवं पेडिक्योर कराने का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इसके कारण गंभीर बीमारियां एवं संक्रमण फैल रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि फिश पेडिक्योर के कारण एड्स, एचआईवी, सोरायसिस, एक्जीमा एवं अन्य त्वचा रोग फैल रहे हैं। एशियन इंस्टीट्‍यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एआईएमएस) के वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित बांगिया कहते हैं ये मछलियां खुद कई तरह के जीवाणुओं एवं बीमारियों को फैलाती है और साथ ही फिश स्पा एवं पेडिक्योर के दौरान एक व्यक्ति के संक्रमण दूसरे तक पहुंचते है। कई मामलों में संक्रमण इतने गंभीर होते हैं कि पैर काटने की नौबत आ जाती है। खास कर वैसे लोगों में जो मधुमेह से पीडित होते हैं। फिश स्पा एवं पेडिक्योर के तहत गर्रा रूफा प्रजाति की मछलियों से हाथों और पैरों की मृत त्वचा की सफाई कराई जाती है। ये मछलियां टर्की से मंगाई जाती हैं। इन मछलियों के दांत नहीं होते, इसलिए स्पा कराने पर दर्द नहीं होता। अब कई पार्लरों एवं ब्यूटी सेंटरों ने घर-घर जाकर भी फिश स्पा देने की सेवा शुरू कर दी है। देश के महानगरों में फिश स्पा कराने वाले सेंटरों की भरमार हो गई है। जहां फिश स्पा एवं पेडिक्योंर करने की फीस ।50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक होती है। इन सेंटरों की ओर से दावा किया जाता है फिश-स्पा के बाद त्वचा चिकनी हो जाती है तथा इससे त्वचा संबंधी कई बीमारियों में भी लाभ पहुंचता है। हालांकि इन दावों को अभी तक साबित नहीं किया जा सका है। दूसरी तरफ नए अध्ययनों से पता चला है कि यह कई तरह की बीमारियों को न्यौता देता हैं। यही नहीं यह सामान्य स्क्रब से अधिक असरदार नहीं होता है। FILE फिश स्पा की शुरुआत टर्की में कनगाल नामक स्थान पर गर्म पानी के सोते से हुई, जहां पर वर्ष ।9।7 में एक स्थानीय चरवाहे ने गर्रा रूफा मछली द्वारा चिकित्सकीय लाभ का पता लगाया। कहा जाता है कि गर्रा रूफा मछली डाइर्थाइनोल नामक एन्जाइम उत्सर्जित करती है, जो त्वचा में नया जीवन भरते हैं। लेकिन नए अध्ययनों से पता चलता है कि ये मछलियां संक्रमण एवं बीमारियां फैलाने वाले जीवाणुओं को भी अपने साथ लाती हैं। इनमें से कुछ बैक्टीरिया पर तो एंटीबायोटिक का भी असर नहीं पड़ता है। चिकित्सकों का कहना है कि फिश स्पा एवं पेडिक्योर कराने से एड्‍स, एचआईवी के चपेट में आने का खतरा हो सकता है, खास तौर पर तब जब आपके पैरों में जख्म हो। डॉ. बांगिया के अनुसार जब मछलियां पैरों एवं हाथों से मृत कोशिकाओं को काटती है। ऐसे में अगर पैरों में जख्म या वे कहीं से कटा हुआ हो तो रक्त बहने लगता है। चूंकि कई महिलाओं या पुरुषों को एक ही टब में स्पा दिया जाता है और इस कारण एड्‍स तथा एचआईवी जैसे संक्रमणों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं आम तौर पर ज्यादातर सेंटरों में कई-कई दिनों तक स्पा टब का पानी भी नहीं बदला जाता। ऐसे में जब एचआईवी संक्रमित या हेपेटाइटिस-सी के मरीज स्पा में आते हैं और अगर इनके हाथ तथा पांव पर घाव होते हैं, तो मछलियां इन जख्मों को कुरेद देती हैं। कुरेदे गए जख्म से रक्त का रिसाव होता है जो पानी को संक्रमित कर देता है और जब अन्य महिलाएं इस पानी के संपर्क में आती हैं तो उनके विषाणुओं के चपेट में आने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। यही नहीं जिन लोगों को मधुमेह और सोरायसिस जैसी बीमारी हैं, उनके लिए संक्रमण होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। इसके अलावा, जिनकी रोग प्रतिरक्षण क्षमता कमजोर है उन्हें फिश स्पा लेने से बचना चाहिए। डॉ. बांगिया का कहना है कि मधुमेह के मरीजों, कम रोग प्रतिरक्षण क्षमता वाले लोगों एवं त्वचा रोगों से पीडि़त लोगों को फिश स्पा कराने से बचना चाहिए। इसके अलावा स्पा के पानी एवं इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को अच्छी तरह से किटाणुमुक्त स्टेरेलाइज किया जाना चाहिए तथा पानी का दोबारा इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। फिश स्पा में इस्तेमाल होने वाली मछलियां बेहद महंगी होती हैं इसलिए भारत में कई सेंटरों पर इसी परिवार से संबंधित प्रजाति चिन-चिन या उनसे मिलती-जुलती मछलियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से कई काटती भी हैं और एक-दूसरे तक यह मछलियां जीवाणुओं एवं विषाणुओं को फैलाती रहती हैं। ज्यादातर सेंटरों में फिश स्पा के पानी की सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। इस पानी को साफ एवं जीवाणुओं से मुक्त रखने के लिए फिल्टरेशन, ओजोनाइजर तथा अल्ट्रावायलेट किरणों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा कम ही सेंटरों में होता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि बार-बार स्पा एवं पेडिक्योर कराने से अंदर की ओर बढ़ने वाले नाखूनों में समस्या हो सकती है। पेडिक्योर कराने के दौरान नाखूनों की उपरी परत को रगडा़ जाता है, जिससे इसकी ऊपरी परत घिसती है और साथ ही साथ इसकी नमी भी खत्म होने लगती है और नाखून कमजोर हो जाते हैं।

जब नींद ना आए, तो करें उपाय



  • * नियमित दिनचर्या रखें। सोने तथा जागने का समय निर्धारित करें तथा उसी समय पर जागें तथा सोएं।
  •  * तनाव को दूर करने का प्रयास करें।
  •  * नियमित व्यायाम करें।
  •  * रात के समय ज्यादा गरिष्ठ भोजन न करें, खाना खाने के बाद थोड़ा टहलें। नींद का हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। प्रकृति ने हमें नींद का अनमोल उपहार प्रदान किया है। अतः अनिद्रा को गंभीरता से लें तथा उसका कारण जानकर उसको दूर करने का प्रयास करें।
  •  * सोने से पहले 1 गिलास कुनकुने दूध में शहद डालकर पीएं। 
  •  * सोते समय सूती व ढीले, आरामदायक कपड़े पहनें। * बांई करवट सोएं तथा ज्यादा ऊंचा तकिया न रखें।
  •  * सोते समय पसंदीदा मधुर संगीत सुनें या कोई पत्रिका पढ़ें। 
  •  * नहाकर सोने से अच्छी नींद आती है।
  •  * कमरे में लाइट बंद करके सोएं। 
  •  * बिस्तर पर हल्के रंग की चादरों का इस्तेमाल करें व साफ-सफाई का ध्यान रखें।


दांतों में छिपा है खूबसूरत मुस्कुराहट का राज

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मुस्कुराता हुआ चेहरा हर व्यक्ति को अच्छा लगता है लेकिन इसके लिए दांतों का खूबसूरत होना भी बेहद जरूरी है वरना मुस्कुराहट असरदार नहीं होगी। इस मुस्कुराहट को असरदार बनाना अब चिकित्सा जगत के अभिनव प्रयोगों से बेहद आसान हो गया है। ऑथोडोन्टिस्ट डॉ. एमएम शर्मा ने कहा ‘दूरियों को कम करने में मुस्कुराहट के महत्व से कोई इंकार नहीं कर सकता और इस मुस्कुराहट को आकर्षक बनाने में दांतों की बड़ी भूमिका होती है। मनुष्य के 32 दांत होते हैं जिनमें से 28 दांत वर्किंग टीथ होते हैं। पीछे की ओर के चार दांत चबाने के लिए प्रयुक्त होते हैं और मुस्कुराते समय ‘स्माइल विंडो’ से नजर भी नहीं आते। स्माइल विंडो से आगे के छह से दस दांत दिखते हैं और खूबसूरत मुस्कुराहट का राज भी इन्हीं में छिपा होता है।’ ऑथोडोन्टिस्ट डॉ. अमित शर्मा के अनुसार, अक्सर टेढ़े या आगे की ओर निकले दांतों को एक विशेष प्रकार के तार से बांध कर सही जगह लाने की कोशिश की जाती है। शुरू में यह तार लगाने पर मुंह में थोड़ी दिक्कत होती है और खिंचाव महसूस होता है। यही खिंचाव दांतों को सामान्य स्थिति में लाता है। खाते समय यह तार निकाला जा सकता है क्योंकि जिस तरह दांतों में फंसे अन्न कणों से दांत खराब हो सकते हैं उसी तरह इस तार में अगर अन्न कण फंस जाएं तो दांतों को नुकसान हो सकता है। दंत चिकित्सक मधु घई कहती हैं कि एक ही आकार के चमचमाते दांत जहां चेहरे को नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान करते हैं वहीं टेढ़े दांतों से अच्छा खासा चेहरा खामी वाला नजर आता है। डॉ. मधु ने कहा कि अब टेढ़े-मेढ़े दांतों को सुधार कर सही करना संभव हो गया है। अगर दांतों का रंग पीला हो गया हो तो न केवल उन्हें सफेद किया जा सकता है बल्कि उनकी जगह, आकार और टेक्स्चर तक को सुधारा जा सकता है। यह सब इतनी सफाई से किया जाता है कि दांत और मुस्कुराहट बिल्कुल स्वाभाविक लगते हैं। डॉ. कपूर के मुताबिक अगर दांतों के बीच में गैप हो तो स्वाभाविक मुस्कुराहट के लिए इस गैप को बेहद सफाई से सिरेमिक की मदद से भरा जाता है। इसी तरह टूटा दांत या खराब दांत भी इम्प्लान्ट लगा कर दुरूस्त किया जा सकता है। तंबाकू खाने से या कभी किसी दवा की वजह से दांतों पर धब्बे बन जाते हैं जिन्हें ब्लीच से दूर किया जा सकता है। डॉ. शर्मा ने कहा कि आम तौर पर दांत अपनी जगह पर ही उगते हैं, लेकिन कभी कोई दांत अपनी जगह से थोड़ा हट कर उगता है। उसे उसकी सही जगह पर लगाया जा सकता है। यदि शिफ्टिंग मामूली है तो उसमें दो या तीन माह लगते हैं लेकिन अधिक दूरी पर इसे लगाना हो तो दो साल और अधिक समय भी लग सकता है। तंबाकू के सेवन या देखभाल में मामूली-सी लापरवाही की वजह से मसूड़ों पर भी धब्बे बन जाते हैं। इन्हें भी दूर किया जा सकता है। अगर दांतों का आकार सामान्य से अधिक लंबा हो तो उन्हें भी घिस कर ठीक किया जा सकता है।

भरपूर नींद बचाये डायबिटिज से


आप भी उन लोगों में शुमार है, जो यह सोचते है कि चार-पांच घंटे की नींद ले लेना हमारे शरीर के लिए पर्याप्त है। यदि आपकी सोच वाकई ऐसी है, तो अपनी सोच को बदल डालिए। यह कहना है जर्मनी के वैज्ञानिकों का।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस बात के परीक्षण के लिए हमने 500 लोगों पर करीब पांच साल तक अध्ययन किया। अध्ययन से पता चला कि जो लोग प्रतिदिन छह घंटे से कम नींद लेते है, उनके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल सही नहीं रहता है। इसके विपरीत जो लोग प्रतिदिन छह या सात घंटे की नींद लेते है, उनके शरीर में ब्लड शुगर का संतुलन सही रहता है।
इस अध्ययन की प्रमुख डॉ. मैरियन का कहना है कि अध्ययन से यह भी पता चला है कि कम नींद लेने के कारण डायबिटीज के साथ-साथ, डिप्रेशन, लो और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि जब हम सोते है तो शरीर एक प्रकार से अपनी मरम्मत कर रहा होता है। यदि शरीर को अपनी मरम्मत करने का पूरा समय नहीं मिलेगा, तो जाहिर है कि हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना ही पड़ेगा।

दही से बनाएं सेहत


हमारे खानपान में कई ऐसी चीजें शामिल होती हैं, जिनमें खूबसूरती और स्वास्थ्य का अनमोल खजाना छुपा होता है। इनमें एक है दही। दही में दूध की अपेक्षा कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, लैक्टोज, आयरन, फास्फोरस आदि पाया जाता है, इसलिए दही को अधिक पोषक माना जाता है।

अन्य गुण

- आयुर्वेद में बताया गया है कि रात को दही नहीं खाना चाहिए। हमेशा ताजे दही का इस्तेमाल करना चाहिए।

- चेहरे पर दही लगाने से त्वचा मुलायम होने के साथ उसमें निखार भी आता है। अगर दही से चेहरे की मसाज की जाए तो यह ब्लीच के जैसा काम करता है। इसका प्रयोग बालों में कंडीशनर के तौर पर भी किया जाता है।

- गर्मियों में त्वचा पर सनबर्न हो जाने पर दही मलने से राहत मिलती है।

- दही का सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है और प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है।

- दही में कैल्शियम के चलते हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से लड़ने में भी मददगार है।

- हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को रोजाना दही का सेवन करना चाहिए।

- दही में अजवायन डालकर खाने से कब्ज दूर होता है।

- दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है। मुंहासे दूर होते हैं।

- दही को आटे के चोकर में मिलाकर लगाने से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा कातिमय बनती है।

- सिर में रूसी होने पर भी दही फायदेमंद होता है। ये रूसी को हटाकर बालों को मुलायम बनाता है।

अब जिम क्या जाना

फिटनेस को लेकर ग‌र्ल्स बहुत सजग है। ग‌र्ल्स के बीच इन दिनों फिट है तो हिट है का फार्मूला शबाब पर है। जाहिर है कि वे जॉब, स्टडी और फ्रेंड सर्किल की व्यस्तता के बीच बैलेंस डाइट, एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन के माध्यम से फिट रहने के लिए समय निकाल रही है।

उपवास और सही नींद
उपवास रहना और समय से सोना दादी-नानी द्वारा बताया गया पुराना नुस्खा है, जो सेहत के लिए सबसे अधिक कारगर है। तलवलकर्स फिटनेस व ब्यूटी सेंटर की एक्सपर्ट गरिमा निगम बताती है, '' ज्यादा खाना खाने के बजाय फल, जूस और सलाद का सेवन जरूर करे। व्यस्त जीवन में समय से सोना बहुत कठिन है। फिर भी कोशिश करे कि देर रात टीवी देखने और पार्टी में शामिल होने की बजाय समय से सो जाएं। ये शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्थितियों के लिए अच्छा होगा। 8 घंटे की कंपलीट नींद थकान, दर्द और आलस्य से निजात दिलाती है और अगले दिन के लिए फिट कर देती है। इससे आपकी दिनचर्या तरोताजा बनी रहेगी। ''

हरियाली का रास्ता

डाइट में हरी सब्जियों को शामिल करे। ये स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। डाइटीशियन डॉ. मीनाक्षी अनुराग बताती है, ''सब्जियों में पाये जाने वाले फाइबर, आयरन और विटामिंस वसा को कम करने में सहायक होते है। हरी सब्जियों में फाइटोकेमिकल्स होते है। ये पाचनतंत्र और लीवर को सही रखने में मदद करते हैं।''

खूब पिएं पानी

डॉ. एस. के. सक्सेना बताते है, ''शरीर में पानी की कमी न होने दें। एक बार भी डिहाइड्रेशन हुआ तो शरीर से न्यूट्रिएंट घट जाएंगे और ये आपकी खूबसूरती व स्किन की चमक को कम करेगे। पानी के अलावा खीरा, खरबूजा, ककड़ी, टमाटर खाएं। इनमें प्रचुर मात्रा में पानी और मिनरल्स होता है। इनमें मौजूद पानी डिटॉक्स करने का काम करेगा और मिनरल्स सिस्टम को हेल्दी करने का।''

मसाज है जरूरी

फिजियोथेरेपिस्ट स्टैनली ब्राउन बताते है, ''डाइट के साथ ही मसाज फिट रहने के लिए बहुत जरूरी है। स्पा जाने के बजाय सप्ताह में एक बार घर पर ही ऑलिव ऑयल से गर्दन हाथ, पैर और कंधों पर मॉलिश करे। ये वे अंग है जिन पर सबसे अधिक स्ट्रेस पड़ता है, लेकिन ध्यान रखें कि मसाज करने के बाद गरम पानी से नहाना जरूरी है। ''

व्यायाम है लाभकारी

बाहर मत निकलिए, लेकिन घर पर ही सही व्यायाम के लिए थोड़ा वक्त तो निकाल ही लीजिए। व्यायाम करने से पसीने के जरिए शरीर के टॉक्सिंस निकल जाते है और बॉडी में ऑक्सीजन अधिक एब्जार्ब होती है। छत पर कुछ देर उछलिए, रस्सी कूदिए , डांस करिए या फिर तेज कदमों से चलिए। योग और मेडिटेशन भी काफी हद तक तनावमुक्त रखने में मदद करते है

आलू के असरकारी नुस्खे


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potato

  • रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है। - कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएं।
  •   शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।
  •   भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है।
  •  आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है। 
  •   चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
  •  गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं।
  •  उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएं तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।
  •  आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।
  •   आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में शहद मिलाकर भी पिला सकते हैं।

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