Sunday 12 May 2013

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Sunday 8 July 2012

नेचुरल डेलीवरी से स्वस्थ बच्चे

natural child
जापानी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए शोध के अनुसार स्वाभाविक रूप से पैदा हुए बच्चे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। इस शोध के अनुसार नेचुरल डेलीवरी से हुए बच्चों में लेक्टोबैसिलस समेत कई लाभकारी बैक्टीरिया ज्यादा पाए जाते हैं, जिसके कारण नवजात में अस्थमा व एलर्जी जैसी कई बीमारिया होने की आशका कम रहती है। इस नए शोध के अनुसार जब बच्चा स्वाभाविक रूप से जन्म लेता है, तो मा का 96 प्रतिशत वेजिनल फ्लूड नवजात में ट्रासफर हो जाता है। जिसकी वजह से लाभकारी बैक्टीरिया का नेचुरल ट्रासफर हो जाता है। यह बैक्टीरिया नवजात की आतों में अपना बसेरा बना लेते हैं। वहीं आपरेशन से हुए बच्चों में न केवल लाभकारी बैक्टीरिया कम होते हैं, बल्कि त्वचा और हॉस्पिटल में प्राय: पाये जाने वाले एसिनेटोबैक्टर समेत कई हानिकारक बैक्टीरिया भी प्रवेश कर जाते हैं।

प्याज का राज, नुस्खे लाजवाब

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कान बहता हो, उसमें दर्द या सूजन हो तो प्याज तथा अलसी के रस को पकाकर दो-दो बूंदें कई बार कान में डालने से आराम मिलता है। यदि कोई अंग आग से जल गया हो तो तुरंत प्याज कूटकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए। विषैले कीड़े, बर्र, कनखजूरा और बिच्छू काटने पर प्याज को कुचलकर उसका लेप लगाना चाहिए। बिल्ली या कुत्ते के काटने पर रोगी को डॉक्टर के पास जाने तक प्याज और पुदीने के रस को तांबे के बर्तन पर डालकर प्रभावित स्थान पर लगाइए इससे विष उतर जाएगा। हिस्टीरिया या मानसिक आघात से यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो उसे होश में लाने के लिए प्याज कूटकर सुंघाएं इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है। मूत्राशय की पथरी को दूर करने के लिए रोगी को प्याज के रस में शकर डालकर शर्बत बनाकर पिलाएं। ऐसा शर्बत नियमित रूप से पिलाने से पथरी कट-कटकर निकल जाती है। इस दौरान रोगी को टमाटर, साबुत मूंग तथा चावल न खाने दें। रोगी को भोजन के साथ एक खीरा खाने को दें। साथ ही रोगी को खूब पानी पीने के लिए कहें। किसी नशे में धुत व्यक्ति को यदि एक कप प्याज का रस पिला दिया जाए तो नशे का प्रभाव काफी कम हो जाता है।

कैसे बचें आंखों के दर्द से

eye care
- तिल के 5 ताजे फूल प्रात:काल अप्रैल माह में निगलें। इससे पूरे वर्ष आंखें नहीं दुखेंगी।

- चैत्र के महीने में गोरखमुंडी के 5 या 7 ताजे फूल चबाकर पानी के साथ सेवन करने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।

- बचपन में बेलगिरी के बीज की मिंगी शहद में मिलाकर चटाने से जीवनभर आंखें नहीं दुखती।

- नींबू के रस की एक बूंद महीने में एक बार आंखों में डालने से कभी आंखें नहीं दुखती।

- रुई के फाहे को ठंडे पानी में भिगोकर शुद्ध घी लगाकर आखों पर रखने से आंखों के दर्द में लाभ मिलता है।

- हरी दूब पीसकर उसका रस आंखों के ऊपर लेप करने से आंख का दर्द मिटता है।

हेल्थ टिप्स : उफ, यह पसीना

एक बार पहने हुए वस्त्रों को बिना धोए अलमारी में न रखें। बिना धुले वस्त्रों को अलमारी में रखने पर दुर्गन्ध पैदा करने वाले बैक्टीरिया सक्रिय होकर वस्त्रों में दुर्गन्ध पैदा कर देते हैं। शरीर की साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नीम युक्त साबुन का नहाते वक्त इस्तेमाल करें तो बेहतर रहेगा। जहाँ तक हो सके कड़ी धूप से बचें। वस्त्र ऐसे पहनें जो शरीर से चिपके हुए न हों क्योंकि तंग वस्त्रों में ज्यादा पसीना आता है और वाष्पीकरण सही ढंग से नहीं हो पाता है जिससे कपड़ों से दुर्गन्ध आने लगती है। सिन्थेटिक वस्त्र न पहनकर सूती वस्त्र पहने तो ज्यादा ठीक रहेगा। तली-भुनी व मसालायुक्त चीजें न खाएँ। मौसमी फलों का सेवन करें।  जड़ी-बूटी द्वारा उपचार - बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। इस चूर्ण की सारे शरीर पर मालिश करें और कुछ समय रूक-रूक कर स्नान कर लें। नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिनों तक करते रहने से पसीना आना बंद हो जाएगा। - पसीने की दुर्गन्ध दूर करने के लिए बेलपत्र के रस का लेप शरीर पर करना चाहिए। - अडूसा के पत्रों के रस में थोड़ा शंख चूर्ण मिलाकर शरीर पर लगाने से शरीर से पसीने की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।

तपती गर्मी में भी खिली रहे सेहत

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ग्रीष्म ऋतु चल रही है। इस ऋतु में सूरज की तेज किरणों से मनुष्य ही नहीं बल्कि सभी जीव-जंतु, वनस्पतियां, नदी, तालाब, कुएं आदि प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। खासकर अप्रैल, मई एवं जून की गर्मी व्यक्ति को अधिक व्यथित करती है जिससे बचने के उपाय हमें करना अतिआवश्यक है। आइए आप और हम निम्न उपायों को अपना कर काफी हद तक गर्मी की दस्तक से बच सकते हैं। * इस मौसम में तेज लपट और झुलसा देने वाली गर्म हवा चलती है। इससे बचने के लिए जब भी हम घर से बाहर निकलें तो एक गिलास ठंडा पानी पीकर ही निकलें। चलते समय एक प्याज भी जेब में रख लें तो लू लगने से बचा जा सकता है। * दिन भर में कम से कम 10 से 15 गिलास पानी अवश्य पिएं। पानी पीने में कोताही नहीं बरतें, क्योंकि इस मौसम में हमारे शरीर का पानी पसीने के जरिए बह जाता है। शरीर में पानी की कमी न होने पाए इसलिए पानी का अत्यधिक उपयोग जरूरी ह * इस ऋतु में हमारी पाचन शक्ति अक्सर कमजोर हो जाती है। पाचन शक्ति ठीक से कार्य करे, इसके लिए तेज मिर्च-मसालेदार, तले हुए एवं गरिष्ठ भोजन से जहां तक हो सके परहेज करें। भूख से दो रोटी कम सेवन करें एवं पानी का उपयोग ज्यादा करें। * तेज धूप से बचाव करके ही घर से निकलें। विशेष कर सिर एवं त्वचा को किसी भी तरह से बचाएं। इसके लिए टोपी, स्कॉर्फ या ग्लव्स या गमछे का प्रयोग करें। * सूर्य की तेज धूप से आंखों को बचाने के लिए गहरे रंग के या सनग्लास चश्मों का प्रयोग हितकर होगा। अच्छी किस्म का सन्सक्रीन लोशन भी अवश्य प्रयोग में लाएं। * प्रातः जल्दी उठकर ताजी वायु का सेवन अवश्य करें। * गर्मी के मौसम में सूती वस्त्र ही पहनें, क्योंकि सूती वस्त्र पसीना सोखने में कारगर होते हैं। जहां तक हो सके, ठंडे पानी से ही स्नान करें। कहा भी गया है कि स्वास्थ्य ही जीवन है और स्वास्थ्य ही धन है। अगर आपने अपने खान-पान, रहन-सहन पर इस मौसम में ध्यान रखें तो गर्मी को रफूचक्कर कर सकते हैं।

सेहत के लिए लाभकारी शाकाहार

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भारतीय संस्कृति में हमेशा से शाकाहार की महिमा पर जोर दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है। शरीर पर शाकाहार के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से किनारा करना शुरू कर दिया है। विश्व भर के शाकाहारियों को एक स्थान पर लाने और खुरपका-मुँहपका तथा मैड काओ जैसे रोगों से लोगों को बचाने के लिए उत्तरी अमेरिका के कुछ लोगों ने 70 के दशक में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी का गठन किया। सोसाइटी ने 1977 से अमेरिका में विश्व शाकाहार दिवस मनाने की शुरूआत की। सोसाइटी मुख्य तौर पर शाकाहारी जीवन के सकारात्मक पहलुओं को दुनिया के सामने लाती है। इसके लिए सोसाइटी ने शाकाहार से जुड़े कई अध्ययन भी कराए हैं। दिलचस्प बात यह है कि सोसाइटी के इस अभियान के शुरू होने के बाद से अकेले अमेरिका में लगभग 10 लाख से ज्यादा लोगों ने माँसाहार को पूरी तरह त्याग दिया है। विश्व शाकाहार दिवस के अवसर पर आहार विशेषज्ञ डॉ. अमिता सिंह ने बताया कि हाल के एक शोध के मुताबिक शाकाहारी भोजन में रेशे बहुतायत में पाए जाते हैं और इसमें विटामिन तथा लवणों की मात्रा भी अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। डॉ. अमिता ने बताया कि ऐसे भोजन में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे मोटापा कम होता है। माँसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन में संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है, जिससे यह हृदय रोगों की आशंका कम करता है। आहार विशेषज्ञ डॉ. अंजुम कौसर ने बताया कि अनाज, फली, फल और सब्जियों में रेशे और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा होते हैं, जो कैंसर को दूर रखने में सहायक होते हैं। डॉ. कौसर ने बताया कि उनके पास कई ऐसे मरीज आए, जिन्होंने माँसाहार त्यागने के बाद अपने स्वास्थ्य में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे। फिजीशियन डा. केदार नाथ शर्मा ने बताया कि बहुत से लोग गोश्त को अच्छे स्वाद के नाम पर तेज मसाला डाल कर देर तक पकाते हैं। इस प्रक्रिया से पका गोश्त खाने पर कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम को बहुत नुकसान पहुँचता है। यह भोजन रक्तचाप बढ़ाने के साथ रक्तवाहिनियों में जम जाता है, जो आगे चल कर दिल की बीमारियों को न्यौता देता है। विश्व शाकाहार दिवस पिछले दिनों अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने इस बात को प्रमाणित किया कि माँसाहार का असर व्यक्ति की मनोदशा पर भी पड़ता है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि लोगों की हिंसक प्रवृत्ति का सीधा संबंध माँसाहार के सेवन से है। अध्ययन के परिणामों ने इस बात की ओर संकेत दिया कि माँसाहार के नियमित सेवन के बाद युवाओं में धैर्य की कमी, छोटी-छोटी बातों पर हिंसक होने और दूसरों को नुकसान पहुँचाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। सोसाइटी की गतिविधियाँ शुरूआत में अमेरिकी उपमहाद्वीप तक सीमित रहीं, लेकिन बाद में इसने अपने कार्यक्षेत्र को यूरोपीय महाद्वीप समेत पूरे विश्व में फैलाया। एक अक्टूबर के दिन दुनिया भर में शाकाहार प्रेमी माँसाहार के नुकसान के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।