कान में दर्द की शिकायत कान के अंदर सूजन या सक्रमण के कारण हो सकती है। यदि बाहरी कान में सक्रमण हो, तो उसे ओटाइटिस एक्सटर्ना कहते हैं। यदि कान के मध्यवर्ती भाग में सक्रमण हो, तो उसे ओटाइटिस मीडिया कहते हैं। कभी-कभी कान के पर्दे में गीलापन आ जाता है।। इस कारण भी कान में दर्द सभव है।
अन्य कारण
जुकाम: जुकाम में भी कान में दर्द होता है। इसके साथ-साथ बुखार, नाक बहना व सिरदर्द भी सभव है। यह शिकायत तीन से सात दिनों में स्वत: ठीक हो जाती है।
ओटाइटिस
इस शिकायत में कान दर्द बढ़ता जाता है। भूख कम लगती है, थूक व खाना निगलने में दर्द महसूस होता है। चिड़चिड़ापन, नींद न आना व चक्कर आता है। कभी-कभी कान से सफेद पीला या भूरे पस का रिसाव होता है। सुनने की शक्ति भी कम होती जाती है। नाक, कान व गला विशेषज्ञ द्वारा इस रोग का ओटोस्कोप व ऑडियोमीट्री द्वारा परीक्षण कराया जाता है।
इलाज
ओटाइटिस एक्सटर्ना के इलाज में कान का मैल हटाया जाता है। दर्द निवारक दवाओं और एंटीबॉयोटिक्स द्वारा आराम मिलता है। कुछ मामलों में एक मामूली सर्जरी माईरिनगोटॅमी द्वारा भी इलाज होता है।
जटिलताएं
यदि कान में सक्रमण का समय से इलाज न हो, तो बहरापन, हड्डी में सक्रमण और दिमाग में सक्रमण [मेनिनजाइटिस] सभव है। 'फेशियल पेल्सी' नामक रोग के कारण मुंह टेढ़ा हो सकता है।
बचाव
जिन लोगों को सर्दी-जुकाम हो, उनसे दूर रहें। इसी तरह जिन्हें एलर्जी की शिकायत है, उन्हें धूल, गदगी और पराग कणों आदि से दूर रहना चाहिए। फ्लू से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाएं।